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सेंसेक्स 4.16%  से गिरकर 72,222.87 के स्तर पर, जानिए निफ्टी का हाल 

सेंसेक्स 4.16%  से गिरकर 72,222.87 के स्तर पर, जानिए निफ्टी का हाल 

नई दिल्ली। वैश्विक व्यापार युद्ध की चिंता और अमेरिका में मंदी की बढ़ती आशंकाओं के बीच पूरी दुनिया के शेयर बाजार में भारी बिकवाली दिखी। भारतीय बाजार भी इससे अछूता नहीं रहा और सेंसेक्स व निफ्टी जैसे प्रमुख सूचकांक चार फीसदी से ज्यादा टूट गए। सुबह 12 बजकर 15 मिनट पर सेंसेक्स 3,141.82  अंक यानी 4.16% गिरकर 72,222.87 के स्तर पर आ गया। दूसरी ओर, निफ्टी 1,012.41 अंक या 4.42% कमजोर होकर 21,892.05 के स्तर पर कारोबार करता दिखा। इस दौरान क्षेत्रवार सूचकांकों में 8% तक की बड़ी गिरावट दिखी और निवेशकों को करीब 19 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।

भारतीय बाजार में बिकवाली के बीच क्या चल रहा है?

सोमवार को घरेलू बाजार में हुई भीषण बिकवाली के बीच कुछ बड़ी कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट दिखी। रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर अपने 52 हफ्तों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया और 5% से अधिक की गिरावट के साथ बीएसई पर 1144.90 रुपये के भाव पर कारोबार करता दिखा। बीते छह दिनों में कंपनी के मार्केट कैप में करीब दो लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई है। एचसीएल टेक्नोलॉजीज, टेक महिंद्रा, इंफोसिस, लार्सन एंड टूब्रो, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के शेयरों पर भी भारी बिकवाली का असर दिखा। मेटल सेक्टर के शेयरों का हाल सबसे खराब रहा।

दूसरी ओर, बीएसई पर टाटा स्टील का शेयर 11.56 प्रतिशत, नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड का 11.22 प्रतिशत, एपीएल अपोलो ट्यूब्स का 10 प्रतिशत, सेल का 9.99 प्रतिशत, जेएसडब्ल्यू स्टील का 9.92 प्रतिशत तथा जिंदल स्टेनलेस का 9.91 प्रतिशत टूट गया। हिंदुस्तान जिंक के शेयरों में 9.83 प्रतिशत, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज में 8.95 प्रतिशत, एनएमडीसी में 8.48 प्रतिशत तथा जिंदल स्टील एंड पावर में 8.19 प्रतिशत की गिरावट आई। बीएसई धातु सूचकांक 6.52 प्रतिशत गिरकर 26,594.09 पर आ गया। अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन की ओर से अपेक्षा से अधिक जवाबी टैरिफ लगाए जाने से मंदी की आशंकाएं और वैश्विक आर्थिक विकास के प्रति चिंताएं बढ़ गई हैं, जिसके कारण धातु शेयरों में तेज गिरावट दर्ज की गई।  शुक्रवार को धातु कंपनियों के शेयरों में 8 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई थी।

30 शेयरों के सूचकांक सेंसेक्स में आई अब तक की बड़ी गिरावट

बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 19.4 लाख करोड़ रुपये घटकर 383.95 लाख करोड़ रुपये रह गया। सभी प्रमुख सेक्टर लाल निशान में रहे, निफ्टी आईटी में 7% से अधिक की गिरावट आई। निफ्टी ऑटो, रियल्टी और ऑयल एंड गैस में 5% से अधिक की गिरावट आई। व्यापक बाजार में, स्मॉल-कैप और मिड-कैप सूचकांक क्रमशः 10% और 7.3% तक गिरे। भारत बाजार में उतार-चढ़ाव को मापने वाला इंडिया VIX 59% चढ़कर 21.94 अंकों पर पहुंच गया। बाजार में बढ़े भय के माहौल के कारण इंडिया VIX में पहली बार एक दिन में इतना तेज उछाल दिखा। बाजार की गिरावट के बीच वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड में भी बड़ी गिरावट दिखी और यह 2.74 प्रतिशत गिरकर 63.78 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।

एशियाई, यूरोपीय और अमेरिकी बाजार का क्या हाल?

ट्रंप टैरिफ के बाद शेयर बाजार में आए भूचाल से एशियाई और अमेरिकी बाजारों में भी बड़ी बिकवाली आई है। एशियाई बाजारों में, हांगकांग का हैंगसेंग लगभग 11 प्रतिशत तक गिर गया है। टोक्यो का निक्केई 225 लगभग 7 प्रतिशत तक टूटा है वहीं, शंघाई एसएसई कम्पोजिट सूचकांक 6 प्रतिशत से की गिरावट के साथ कारोबार करता दिख रहा है। दक्षिण कोरिया के कोस्पी सूचकांक में भी पांच प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। ट्रम्प के टैरिफ के कारण मंदी की आशंका से यूरोपीय शेयर बाजार 16 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गए।पैन-यूरोपीय STOXX 600 में शुक्रवार को कोविड-19 महामारी के बाद से सबसे बड़ी एक दिवसीय गिरावट दिखी और यह 5.8% तक गिर गया। अमेरिकी बाजारों का हाल भी ऐसा ही रहा। एसएंडपी500 शुक्रवार को 5.97 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ। दूसरी ओर, नैस्डैक कंपोजिट में 5.82 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और डॉव 5.50 प्रतिशत तक फिसल गया।

बीते कुछ समय में कैसी रही भारतीय बाजार की चाल?

पहले से विदेशी निवेशकों की ओर से बिकवाली की मार झेल रहे भारतीय बाजार के लिए डोनाल्ड ट्रंप की ओर से घोषित जवाबी टैरिफ नया संकट बनकर सामने आया। एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को 3,483.98 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी बेची। इस दौरान, सेंसेक्स 930.67 अंक या 1.22 प्रतिशत गिरकर 75,364.69 पर बंद हुआ। निफ्टी 345.65 अंक या 1.49 प्रतिशत गिरकर 22,904.45 पर बंद हुआ। पिछले सप्ताह सेंसेक्स में 2,050.23 अंक या 2.64 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि एनएसई निफ्टी में 614.8 अंक या 2.61 प्रतिशत की गिरावट आई।

अब कब करवट लेगा बाजार? जानकारों की राय क्या?

रिलायंस सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख विकास जैन के अनुसार चीन और जापान दोनों सूचकांक में क्रमशः 10 प्रतिशत और 8 प्रतिशत की गिरावट आई है। वैश्विक व्यापार युद्ध और संभावित मंदी से जुड़ी चिंताएं बढ़ गई हैं और इससे निवेशकों की धारणा प्रभावित हो रही है। शुक्रवार को, यूएस एसएंडपी 500 में 6 प्रतिशत की गिरावट आई और डॉव जोन्स 2000 से अधिक अंक गिर गया। कोविड संकट के बाद से बाजार के लिए पिछला सप्ताह सबसे खराब साबित हुआ। दूसरी ओर, अमेरिकी टैरिफ के जवाब में चीन ने भी 10 अप्रैल से सभी अमेरिकी आयातों पर 34 प्रतिशत का जवाबी टैरिफ लगाने का एलान कर दिया है। इसे देखते हुए ऐसा लग रहा है अमेरिका और चीन की ओर से उठाए गए कदमों से मुद्रास्फीति और वैश्विक व्यापार में तनाव बढ़ सकता है। ऐसे में बाजार में तेज खरीदारी लौटने में थोड़ा समय लग सकता है।

2020 के कोविड क्रैश के बाद से सिर्फ दूसरी बार भारतीय बाजार एक ही दिन में 5% से ज्यादा गिरे हैं। निफ्टी अब अपने शिखर से 17% नीचे है। बेंचमार्क इंडेक्स आधिकारिक तौर पर 21,022 पर बियर मार्केट क्षेत्र में प्रवेश करने से अब महज 1,000 अंक से भी कम दूर है। स्टॉककार्ट के निदेशक और सीईओ प्रणय अग्रवाल ने कहा, “आज के ब्लैक मंडे ने भारतीय बाज़ारों को हिलाकर रख दिया है, लेकिन निवेशकों और व्यापारियों को शांत रहना चाहिए। अस्थिरता अवसर लाती है, लेकिन केवल मजबूत जोखिम प्रबंधन के साथ… याद रखें, यह भी बीत जाएगा।”

क्या देश की जीडीपी पर भी असर पड़ने का खतरा है?

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के संजीव प्रसाद और उनकी टीम के विश्लेषकों के अनुसार, “पारस्परिक टैरिफ, भले ही अस्थायी हों पर इससे कंपनियों और निवेशकों के लिए अनिश्चितता बढ़ी है।” प्रसाद ने कहा, “अगले कुछ सप्ताहों में भारतीय बाजारों का प्रदर्शन इस बात पर निर्भर करेगा कि हितधारक देशों की ओर से टैरिफ की आग में पानी डाला जाता है या घी। इसके अलावे, भारत के खुदरा व घरेलू संस्थागत निवेशकों का व्यवहार भी बाजार की धारणा को प्रभावित करेगा। विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि घटते रिटर्न और बढ़ती अस्थिरता घरेलू इक्विटी की मांग घटा सकती है।”

कई ब्रोकरेज फर्मों को टैरिफ के कारण भारत के वित्त वर्ष 2026 के जीडीपी आंकड़ों पर असर पड़ने का जोखिम दिख रहा है। हालांकि, सरकार से जुड़े सूत्रों ने सोमवार को दावा किया है भारत के लिए चालू वित्त वर्ष के लिए अनुमानित वृद्धि पर कोई असर नहीं दिखेगा। इस बीच, एसएमसी ग्लोबल में खुदरा इक्विटी के अनुसंधान के सहायक उपाध्यक्ष सौरभ जैन के अनुसार मार्च तिमाही में कंपनियों की कॉर्पोरेट आय के नरम रहने की संभावना है। इसे देखते हुए निफ्टी50 इस गिरावट के दौर में 21,500-21,800 के महत्वपूर्ण समर्थन स्तर तक पहुंचकर कारोबार करता दिख सकता है।

(साभार)